- खतरे के निशान से महज डेढ मीटर नीचे बह रही यमुना, किसानों की फसलें हुई बर्बाद
- प्लेज की खेती को भारी नुकसान, कर्ज में दब गए किसान
कैराना। पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों में बेमौसम बरसात के चलते यमुना नदी उफन आई है। जलस्तर बढ़ने के कारण यमुना खतरे के निशान से महज डेढ मीटर नीचे बह रही है। इसी के चलते यमुना नदी ने खादर क्षेत्र में किसानों पर तबाही मचा दी है। प्लेज की खेती को सर्वाधिक नुकसान बताया जा रहा है। इसके अलावा गेहूं व अन्य फसलें भी बर्बाद हो चुकी है। फसलों की बर्बादी के चलते किसान कर्ज तले दब गया है।
पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के चलते पिछले कई दिनों में बारिश और ओलावृष्टि हुई है। मैदानी से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों तक बारिश का सिलसिला चल रहा है। इसी के चलते कैराना में स्थित यमुना नदी का जलस्तर भी काफी हद तक बढ़ गया है। शनिवार को यमुना नदी 229 मीटर पर बह रही थी। रविवार को जलस्तर में 60 सेंटीमीटर की और बढोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले दो दिनों में डेढ मीटर की बढोत्तरी होने के साथ ही यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 231 मीटर से महज डेढ ही मीटर की दूरी पर पहुंच गया है। फिलहाल यमुना 229.60 मीटर पर बह रही है। जलस्तर बढ़ने के कारण यमुना नदी ने खादर क्षेत्र में भारी तबाही मचा दी है। गांव हैदरपुर के जंगल में यमुना से सर्वाधिक कटान हुआ है। यहां मवी गांव निवासी अबरार, मतलूब व मोबीन सहित आधा दर्जन से अधिक किसान खेती करते थे, जिनकी तरबूज, खरबूजा, लौकी, ककड़ी, खीरा, मटर, मसरी, शकातरा, करेला, मिर्च व पेठा आदि की फसलें यमुना में बह गई है। इनमें लौकी की फसल पूरी तरह से तैयार थी। कुछ जलमग्न होने के कारण नष्ट होने के कगार पर है। इसके अलावा गेहूं के खेत भी यमुना के पानी से भरे खड़े हैं। कई खेत ऐसे हैं, जिनमें रातों को किसान पहरा दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें खेतों में यमुना का पानी टूटने का डर है। किसानों ने अपनी खेती बचाने के लिए कई जगहों पर मेड़ भी लगवा दी है।
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सिसक रहा किसान, कैसे पले परिवार
फसलों की बर्बादी के बाद किसानों के सामने अपने परिवार के पालन-पोषण की चिंता खड़ी हो गई है। किसान अबरार, मतलूब व मोबीन का कहना है कि उन्होंने ब्याज पर रूपये लेकर खेती की थी, क्योंकि इसी खेती के सहारे उनका परिवार रहता है। खेती से ही किसान दो जून की रोटी का जुगाड़ करते हैं। फसलों के बर्बाद हो जाने के बाद किसानों की उम्मीदें टूट गई है। किसान बेहद परेशान हैं।
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सरकार से मुआवजे की आस
नुकसान की भरपाई के लिए किसान सरकार की ओर मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार से उन्हें मुआवजा मिलें, तोा वह आगे खेेती कर सकते हैं और अपने परिवार का गुजारा चला सकते हैं। यदि यही स्थिति रही, तो किसान का परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच जाएगा।
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केवट मल्लाह समिति ने उठाई मांग
केवट मल्लाह एकता सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुस्तकीम मल्लाह ने क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने किसानोंं से बातचीत की। मुस्तकीम मल्लाह ने कहा कि संसद और विधानसभा सत्र के दौरान अन्य किसानों की बात की जाती है, लेेकिन सब्जी-प्लेज की खेती करने वाले किसानों की कोई सुध नहीं ली जाती है। उन्होंने मांग उठाई है कि किसानों के नुकसान को देखते हुए सरकार इसे आपदा घोषित करें और किसानों को मुआवजा दिया जाए। मुस्तकीम मल्लाह ने कहा कि वह इस संबंध में जिले के अधिकारियों से भी मिलकर किसानों के हुए नुकसान के बारे में अवगत कराएंगे।
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मामौर व अन्य गांवों में भी कटान
यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण हैदरपुर ही नहीं, बल्कि मामौर, रामडा, मवी व अन्य गांवों में भी कटान हुआ है और यहां पर भी किसानों की गेहूं आदि की फसलें जलमग्न हो गई है। इसे लेकर किसान चिंतित हैं।