कैराना। तहसील क्षेत्र के मामौर यमुना खादर में खनन माफिया बेलगाम हो गए हैं। वैध पट्टे की आड़ में माफियाओं ने यमुना नदी पर एक बार फिर तमाम मानकों को ताक पर रखकर पॉर्कलेन मशीनों से यमुना का युद्धस्तर पर चीरहरण किया जा रहा है।
कैराना तहसील क्षेत्र के मामौर यमुना खादर में आवंटित वैध बालू खनन पट्टा एक बार फिर चर्चाओं में हैं। वैध पट्टे की आड़ में खनन माफिया एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। माफियाओं ने नियम—कायदों को ठेंगे पर रखते हुए पॉर्कलेन मशीनों से युद्धस्तर पर यमुना नदी का सीना छलनी किया जा रहा है।
वहीं, यमुना में चलाई जा रही मशीनें पानी के बीच से रेत निकाल रही है। माफिया पॉर्कलेन मशीनों व अन्य साजो—सामान से प्रतिदिन यमुना से हजारों टन काला सोना निकाल कर अपनी तिजोरियां भरने में लगे हैं। इसी के चलते यमुना नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। यमुना नदी में मानकों को धता बताते हुए इतने बड़े पैमाने पर चल रहे खनन के काले कारोबार से ऐसा प्रतीत होता है कि माफियाओं को या तो किसी की शह मिली हुई है या फिर उन्हें किसी कार्यवाही का खौफ नहीं रहा है।
यह वही खनन प्वाइंट है, जिस पर पूर्व में अपर आयुक्त की छापेमारी के दौरान भारी अनियमितताएं मिली थी और पट्टाधारक पर 77 लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया था। बावजूद इसके प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं।
- आखिर माफियाओं को किसकी शह ?
वैसे तो वैध पट्टे पर एनजीटी के आदेशों का पालन और शासन की गाइडलाइन के अनुरूप की खदान की अनुमति होती है, लेकिन मामौर में माफिया बेखौफ होकर तमाम नियम—कायदों को दरकिनार कर खनन कर रहे हैं। उससे कई सवाल स्थानीय प्रशासन व खनन अधिकारी की कार्यशैली पर भी उठते नजर आ रहे हैं, क्योंकि पूर्व में 2019 में भी खनन माफियाओं ने मामौर खनन प्वाइंट पर भारी अनियमितताएं मिली थी, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन न जानें क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर माफियाओं को किसकी शह हैं ? क्यों प्रशासन कार्यवाही करने से कतरा रहा है ?