पिछले पांच साल में परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प पर सरकार का खासा जोर रहा है। इसके लिए चलाये गये कायाकल्प अभियान के तहत 1.30 लाख विद्यालयों में 19 मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। कुछ औद्योगिक घरानों ने भी कुछ विद्यालयों को गोद लेकर इनके कायाकल्प का बीड़ा उठाया। नतीजतन कई परिषदीय विद्यालय कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देने की स्थिति में आ गए हैं।
कभी नकल के लिए बदनाम रही यूपी बोर्ड परीक्षा की शुचिता को बनाये रखने के लिए सरकार ने पारदर्शी व्यवस्था की है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इसके लिए केंद्रों का आनलाइन निर्धारण, आनलाइन पंजीकरण, आनलाइन मान्यता व आनलाइन डुप्लीकेट अंकपत्र की व्यवस्था की गई। नकलविहीन परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड के हर केन्द्र पर सीसीटीवी की निगरानी में करायी जा रही है। नकल माफिया पर पूरी तरह नकेल कसे गये। इसी का नतीजा है कि परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता कायम हुई है। नकल माफिया की कमर टूट गयी है।
उच्च शिक्षा क्षेत्र में सरकार ने खासा जोर दिया है। प्रदेश में तीन राज्य विश्वविद्यालयों का निर्माण हो रहा है। इनमें सहारनपुर में मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय, आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय और अलीगढ़ में बन रहा राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 75 नये राजकीय महाविद्यालय भी निर्माणाधीन हैं। सरकार ने महापुरुषों और ऐतिहासिक घटनाओं पर शोध के लिए शोध पीठों की स्थापना की है। इसके तहत 15 राज्य विश्वविद्यालयों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ, लखनऊ विश्वविद्यालय में भाऊराव देवरस, अटल सुशासन पीठ व महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय रोजगार पीठ की स्थापना की गई है। जबकि दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में चौरीचौरा अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई है।