👉 बांदा में तैनात सिविल जज ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति
उत्तर प्रदेश में रामराज्य है और इसी राम राज्य में एक जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है । और उत्तर प्रदेश में यह पहला वाकया नहीं है अभी कुछ दिन पहले की ही बात है उत्तर प्रदेश की ही एक एसडीएम ने अपने ही सहयोगी पर गंभीर आरोप लगाए थे । और उन्हें अपनी जान बचाना मुश्किल हो गया था हालांकि वह सहयोगी गिरफ्तार हो चुके हैं ।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने इस अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह पूरा वाक्य शेयर किया है । और लिखा है कि बाँदा में तैनात सिविल जज ने CJI से इच्छा मृत्यु मांगा है। क्योंकि, उन्हें उनके साथ 2022 में हुए शारीरिक शोषण के लिए न्याय नहीं मिल रहा है। दरअसल जज साहिबा का कहना है कि 2022 में बाराबंकी में पोस्टिंग रहने के दौरान बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सरेआम कोर्ट में उनके साथ बदसलूकी की थी। क्योंकि, न्यायिक कार्य बहिष्कार के दौरान वे अपने न्यायालय में काम कर रही थी। जब इसकी शिकायत उन्होंने अपने सीनियर जजों से की तो उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि हाइकोर्ट ने बाद में संज्ञान तो लिया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जज साहिबा का कहना है कि अगर मैं जज होकर अपने लिए न्याय नहीं करा पा रही तो आम लोगों के साथ क्या न्याय कर पाऊंगी? यह सवाल साधारण नहीं बल्कि पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान है।आखिर एक जज को ऐसा सोचने पर क्यों विवश होना पड़ रहा है? न्यायिक कार्य बहिष्कार के दौरान कोई जज तभी कार्य करता है जब उसके पास कोई वकील जाता है। क्योंकि यह हड़ताल वकीलों का होता है, जजों के नहीं। तो बताइये! इसमें दोषी कौन हुआ? वकील या जज? एक सम्मानित जज, एक महिला… यदि उसके साथ न्याय नहीं हो पाता है तो यह हमारे समाज के लिए कितना बड़ा सवालिया निशान है। हम इस महिला जज के लिए न्याय की आवाज बुलंद करते हैं। मा. न्यायपालिका और शासन के सम्मानित उच्चाधिकारियों से हमारा आग्रह है कि इस महिला जज के साथ हुए बदसलूकी के लिए इसे न्याय दिलाएं।
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