उत्तर प्रदेश में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का राज्य चुनाव संपन्न
👉 मौलाना सैयद अशहद रशीदी चुने गए अध्यक्ष
लखनऊ। जमीयत उलेमा-ए-हिंद (मौलाना अरशद मदनी गुट) का उत्तर प्रदेश में राज्य चुनाव हाल ही में सुन्नी इंटर कॉलेज लखनऊ के विक्टोरिया गंज में संपन्न हुआ, जिसमें मौलाना सैयद अशहद रशीदी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। 
       चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण  बैठक भी हुई, जिसकी अध्यक्षता मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने की। इस मौके पर उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ऐतिहासिक योगदान और उसकी सेवाओं पर प्रकाश डाला।
       उन्होंने कहा कि 19 नवंबर 1919 को जमीयत उलेमा हिंद ने उस समय ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई थी, जब देश में अंग्रेजों के अत्याचार अपने चरम पर थे। उस समय के महान चिंतकों और विद्वानों ने साहस के साथ इन अत्याचारों का मुकाबला किया और स्वतंत्रता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। 
       उन्होंने यह भी कहा कि जमीयत ने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया है और इसके संस्थापक और नेतृत्व ने हमेशा सत्य, न्याय और मानवता की सेवा की है। मौलाना रशीदी ने जमीयत के इतिहास को याद करते हुए कहा कि उसका अतीत साफ और उज्जवल है, और वर्तमान की स्थिति भी उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करती है। इस समय जमीयत को मौलाना सैयद अरशद मदनी जैसे महान धार्मिक नेता का समर्थन प्राप्त है, जो न केवल विद्वान हैं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी हैं।
         इसके बाद, मौलाना अब्दुल जलील मुरादाबादी ने द्विवार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर सुन्नी इंटर कॉलेज के सचिव साद सिद्दीकी को कोषाध्यक्ष चुना गया। चुनाव में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अध्यक्षों ने भी भाग लिया, जिनमें शामली के जिला अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद साजिद कासमी, कैराना के तहसील अध्यक्ष मास्टर समीउल्लाह खान कासमी, मौलाना मुहम्मद अय्यूब, कारी मुहम्मद अकबर कांधला और मौलाना बरकतुल्लाह अमीनी सहित आदि शामिल थे। खासतौर पर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, बहराइच और बिजनोर के जिले से बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए। 
       यह चुनाव और बैठक जमीयत उलेमा-ए-हिंद की संगठित और मजबूत उपस्थिति को दर्शाते हैं, जो समाज की भलाई और देश की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः प्रस्तुत करता है।
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