तीर ना चलें जिससे वो कमां बदल दीजिए...

कैराना (शामली)। अंजुमन गुलिस्तान—ए—उर्दू अदब के तत्वावधान में शेरी नशिस्त में स्थानीय शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान तालियों महफिल गूंज उठी।
   शुक्रवार देर शाम नगर के मोहल्ला आलखुर्द में अंजुमन गुलिस्तान—ए—उर्दू अदब के तत्वावधान में शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। शुभारंभ युवा शायर कारी मुजम्मिल की नात और चौधरी इरफान के शमां रोशन से हुआ। 
          इस अवसर पर शायर डॉ. सलीम अख्तर फारूकी ने अपना शेर यूं पढ़ा— वार करने वालों से ये मेरी गुजारिश है, तीर ना चलें जिससे वो कमां बदल दीजिए। नफीस अहमद अंसारी ने पढ़ा— जब तेरा जुल्म हद से गुजर जाएगा, लौट कर फिर कोई गजनबी आएगा। मुजम्मिल अंसारी ने इस तरह पढ़ा— जब नशा जायेगा देखकर आपको, दिल ना रूक पाएगा देखकर आपको। शकील अहमद शकील अंसारी ने शेर पढ़ा— वो चांद तारों से और कहकशां से गुजरे हैं, जहां से कोई ना गुजरा वो वहां से गुजरे हैं। शायरों के कलाम सुनकर श्रोताओं ने तालियां बजाकर दाद दी। 
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