अंजुमन गुलसितान-ए-उर्दू अदब कैराना की 13वीं शेरी नशसित का हुआ आयोजन

कैराना (शामली)। नगर की अंजुमन गुलसितान-ए-उर्दू अदब कैराना की ओर से महाना 13 वीं शेरी नशसित का शानदार आयोजन किया गया।
        नगर के मौहल्ला ज़ेर अंसारीयान स्थित चेयरमैन कैराना शमशाद अहमद अंसारी के निवास स्थान  पर गत रात्रि एक शानदार महफ़िल ए मुशायरा (नशसित )का आयोजन किया गया। शेरी महफ़िल का आगाज़ युवा शायर जनाब कारी मुज़म्मिल की नाते ए पाक से हुआ वहीं शमा रोशन इरशाद अंसारी  ने की तथा संचालन नगर के मशहूर शायर जनाब उस्मान उस्मानी ने  किया। 
     नशसित की अध्यक्षता जनाब हाजी अकबर अंसारी ने की।  प्रोग्राम में आये शायरों ने अपने अपने शेर सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
सभी शायरों ग़ज़लें सुना कर जमकर दादों तहसीन हासिल की।
डाक्टर सलीम अख्तर फ़ारुकी ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,

मैं हो गया शहीद ख़ुदा तेरी राह में,
मुझको खुशी है के मेरा लहू काम आ गया।

उस्मान उस्मानी ने कहा,
मुझे ख्याल ए वफ़ा अगर नहीं आता 
मैं तेरे दर पे लोट कर नहीं आता।

मास्टर शकील अहमद शकील ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
मिलती है किरदार से इज्ज़त जहां में इस लिए 
हर बशर को साहिबे किरदार होना चाहिए।

सलीम जावेद डुंडूखेडवी ने कहा,
दिल के रिश्तों पै आये ही क्यूं थे 
तुमने सदमे उठाए ही क्यूं थे रुसवा कर ना था जब सरे महफ़िल 
राज़ तुमने छुपाए ही क्यूं थे 

जनाब कारी मुज़म्मिल ने भी अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
दुनियादारी में भला दोस्तों रखा क्या है 
अपने अल्लाह को मनाओ तो कोई बात बने।
        नशसित में अल्हाज शकील अहमद शकील, डाक्टर सलीम अख्तर फ़ारुकी, गफ़्फ़ार सैफ़ी ,कारी मुजम्मिल, तनवीर कुरेशी, सलीम जावेद डुंडुखेडवी आदि शायरों ने अपने अपने कलाम पेश किए। नशसित के मेहमान ए खुसुसी जनाब मतलूब कुरेशी रहे। उन्होंने कहा कि उर्दू अदब अगर आज ज़िंदा है तो वह इन्हीं  शेरी नशसितों की देन है।
      वहीं, अंत में नशसित के आयोजक चेयरमैन कैराना शमशाद अहमद अंसारी ने आने वाले सभी शायरों व श्रोताओं का धन्यवाद किया। वहीं आगामी नशसित का भी एलान किया गया। जो नव वर्ष के मौके पर एक जनवरी को होगी।
====================
Comments